लल्लन चड्डी और साबुन
लल्लन चड्डी जी की कई समस्याओं में से एक सबसे बड़ी समस्या थी उनके परिवार के लोगों का बेवजह खर्चा करना. मसलन उन्हें इस बात से बहुत तकलीफ होती थी की सभी लोग नहाने धोने के बाद बाथरूम में साबुन को तश्तरी में ही छोड़ जाते थे और साबुन वहाँ पड़े पड़े गलता रहता था.
लल्लन ने इसका एक रामबाण इलाज ढूँढा
लल्लन ने हर बाथरूम में फर्श से 5 फुट ऊपर 2 कीले ठोके और प्लास्टिक की डोरी से नहाने और कपडे धोने का साबुन उन कीलों से लटका दिया, फिर सभी परिवार वालों को यह दिशा निर्देश दिए गए की कोई भी व्यक्ति साबुन को डोरी से निकाल कर इस्तेमाल नहीं करेगा, कपडे धोने के लिए कपडे को एक हाथ से पकड़ा जाएगा और दुसरे हाथ से साबुन लगाया जाएगा, नहाने के लिए भी इसी प्रकार प्रयोग किया जाएगा.
लल्लन ने परिवारजनों को समझया की "देखो वैसे तो इस नियम से कई फायदे हैं जैसे की साबुन गलेगा नहीं, साबुन ऊपर लटका रहेगा तो किसीके पैरों में नहीं आएगा और कोई फिसल के नहीं गिरेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात साबुन को बाँध कर रखने से कोई उसे चुरा कर नहीं ले जा सकता"
और लल्लन चड्डी जी ने यह जिम्मेदारी स्वयं उठायी की हर व्यकि के बाथरूम से निकालने के पश्चात वो साबुन को खोलकर फिर से टाईट बांधेगे ताकि साबुन डोरी से फिसल कर नीचे नहीं गिर जाए और फर्श पर गलना शुरू कर दे.
साथ ही साथ उसने यह भी बताया की कोई व्यक्ति साबुन को डोरी से निकाल कर इस्तेमाल करने का और फिर पुन: बाँधने का दुस्साहस नहीं करे क्यूंकि लल्लन किसी भी क्षण बाथरूम के रोशनदान से झांककर देख सकता है की लोग अंदर क्या करते हैं?
सभी परिवारजन कोई अन्य चारा नहीं पा कर उसकी बात को मानने लगे.
यह सिलसिला कुछ दिन बदस्तूर जारी रहा, हर सुबह हर व्यक्ति के बाथरूम से निकलने के बाद लल्लन जी साबुन को डोरी समेत चेक करते और ठीक ठाक बांधते रहते. इस नियम का सख्ती से पालन उनके यहाँ आने वाले मेहमानों को भी करना पडा, कुछ चेपू किस्म के मेहमान जो हफ़्तों लल्लन चड्डी के घर पर रुक कर गुल छर्रे उड़ाते थे वे इस नियम के चलते 1-2 दिन में ही रवाना हो गए, तब लल्लन चड्डी ने अपने घर वालों को जो की इस नियम से बुरी तरह से परेशान थे, उन्हें इस नियम का यह फायदा समझाया और यह नियम कई दिन और थोपे रखा.
इस नियम का परिणाम:- लल्लन चड्डी ने यह पाया की अब साबुन वाकई गलना बंद हो गए थे और बहुत लंबे चलते थे, जहां एक साबुन की खपत 3 दिन थी वो अब हफ्ते-हफ्ते भर चल रहा था, उसे पूरा यकीन हो गया की साबुन फर्श पर पड़े पड़े गल रहा था और डोरी से बांधेने से उसे काफी फायदा हुआ है, उसकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं था, फिर एक दिन
लल्लन जैसे ही अपने भाई खल्ल्न चड्डी के नहाने के बाद बाथरूम में साबुन ठीक करने गया तो उसने देखा की जो साबुन डोरी से लटके थे उनके अलावा एक साबुन का टुकड़ा फर्श पर पड़ा हुआ था, यह देख कर वो असमंजस में पड गया की यह कहा से आया उसने इसकी जांच पड़ताल करने की ठानी. अगले दिन जैसे ही उसका बड़ा भाई फक्कड चड्डी बाथरूम में घूसा लल्लन बाथरूम के रोशनदान पर चढ़कर देखने लगा की अंदर क्या होता है?
पता चलता है की फक्कड चड्डी अपने कपड़ों और तौलिए में छुपा कर नहाने और कपडे धोने के साबुन अलग से लाया था उसने डोरी से लटके हुए साबुनों को हाथ भी नहीं लगाया बस बहार जाने से पहले दो लोटे पानी दोनों साबुनों पर उड़ेल दिया ताकि लल्लन पीछे से देखेने आये तो उसे लगे की वाकई साबुन प्रयुक्त हुए हैं. यह जानकर लल्लन चड्डी को खुशी और दुख दोनों एक साथ हुए.
दुःख इस बात का की उसके महान आइडिया उसके परिजनों ने अपनाया नहीं और खुशी इस बात की हर व्यक्ति खुद साबुन खरीद कर ला रहा था और उससे पैसे नहीं मांग रहा था.
इस कहानी का अन्य पहलु:-
जिस दिन लल्लन चड्डी ने यह नियम लागू किया, समस्त परिजनों ने लल्लन चड्डी के सुबह तालाब पर जाते ही एक ख़ुफ़िया मीटिंग की और इस समस्या से निपटने के रास्ते ढूँढने लगे, क्यूंकि डोरी से बंधे हुए साबुन का इस्तेमाल करना असम्भव था
फक्कड चड्डी ने सुझाव दिया की उन सभी को नहाना बंद कर देना चाहिए ताकि उनके तन की दुर्गंन्ध से लल्लन परेशान हो जाए और यह नियम हटा ले.
बब्बन ने कहा की उन्हें लल्लन को बाथरूम में बंद करके धोना चाहिए, इन दोनों ही सुझावों को सुनकर खल्ल्न ने अन्य परिजनों को समझाया की यदि वे नहाना बंद कर देंगे तो लल्लन दुर्गन्ध से परेशान होने वाला नहीं है अपितु वो और खुश होगा की चलो अब साबुन पूरा ही बच जाएगा और साथ ही साथ बिजली व पानी भी खर्च नहीं होगा, और वो कभी इस नियम को वापस नहीं लेगा, यदि वे उसेक साथ मारपीट करते हैं तो भी वो मानेगा नहीं उल्टा परिवार वालों को ही उसकी देखभाल करनी पड़ेगी वो काम पर नहीं जाएगा और घर पर रहकर बचत करने के अन्य तरीके सोचता रहेगा.
खल्ल्न ने उन्हें यह उपाय बताया की हर व्यक्ति अपने साथ कपड़ों में छुपा कर साबुन ले जाए और इस्तेमाल करके वापस ले आये डोरी से लटके हुए साबुन के झंझट से भी बच जायेंगे और लल्लन के कोप से भी.
नोट: वर्णित समस्त पात्र, घटनाओ, कहानिया, किस्से, आदि काल्पनिक है. यदि किसी व्यक्ति से इसकी समानता होती है,तो उसे मात्र एक सयोग माना जायेगा.
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लल्लन चड्डी जी की कई समस्याओं में से एक सबसे बड़ी समस्या थी उनके परिवार के लोगों का बेवजह खर्चा करना. मसलन उन्हें इस बात से बहुत तकलीफ होती थी की सभी लोग नहाने धोने के बाद बाथरूम में साबुन को तश्तरी में ही छोड़ जाते थे और साबुन वहाँ पड़े पड़े गलता रहता था.
लल्लन ने इसका एक रामबाण इलाज ढूँढा
लल्लन ने हर बाथरूम में फर्श से 5 फुट ऊपर 2 कीले ठोके और प्लास्टिक की डोरी से नहाने और कपडे धोने का साबुन उन कीलों से लटका दिया, फिर सभी परिवार वालों को यह दिशा निर्देश दिए गए की कोई भी व्यक्ति साबुन को डोरी से निकाल कर इस्तेमाल नहीं करेगा, कपडे धोने के लिए कपडे को एक हाथ से पकड़ा जाएगा और दुसरे हाथ से साबुन लगाया जाएगा, नहाने के लिए भी इसी प्रकार प्रयोग किया जाएगा.
लल्लन ने परिवारजनों को समझया की "देखो वैसे तो इस नियम से कई फायदे हैं जैसे की साबुन गलेगा नहीं, साबुन ऊपर लटका रहेगा तो किसीके पैरों में नहीं आएगा और कोई फिसल के नहीं गिरेगा और सबसे महत्वपूर्ण बात साबुन को बाँध कर रखने से कोई उसे चुरा कर नहीं ले जा सकता"
और लल्लन चड्डी जी ने यह जिम्मेदारी स्वयं उठायी की हर व्यकि के बाथरूम से निकालने के पश्चात वो साबुन को खोलकर फिर से टाईट बांधेगे ताकि साबुन डोरी से फिसल कर नीचे नहीं गिर जाए और फर्श पर गलना शुरू कर दे.
साथ ही साथ उसने यह भी बताया की कोई व्यक्ति साबुन को डोरी से निकाल कर इस्तेमाल करने का और फिर पुन: बाँधने का दुस्साहस नहीं करे क्यूंकि लल्लन किसी भी क्षण बाथरूम के रोशनदान से झांककर देख सकता है की लोग अंदर क्या करते हैं?
सभी परिवारजन कोई अन्य चारा नहीं पा कर उसकी बात को मानने लगे.
यह सिलसिला कुछ दिन बदस्तूर जारी रहा, हर सुबह हर व्यक्ति के बाथरूम से निकलने के बाद लल्लन जी साबुन को डोरी समेत चेक करते और ठीक ठाक बांधते रहते. इस नियम का सख्ती से पालन उनके यहाँ आने वाले मेहमानों को भी करना पडा, कुछ चेपू किस्म के मेहमान जो हफ़्तों लल्लन चड्डी के घर पर रुक कर गुल छर्रे उड़ाते थे वे इस नियम के चलते 1-2 दिन में ही रवाना हो गए, तब लल्लन चड्डी ने अपने घर वालों को जो की इस नियम से बुरी तरह से परेशान थे, उन्हें इस नियम का यह फायदा समझाया और यह नियम कई दिन और थोपे रखा.
इस नियम का परिणाम:- लल्लन चड्डी ने यह पाया की अब साबुन वाकई गलना बंद हो गए थे और बहुत लंबे चलते थे, जहां एक साबुन की खपत 3 दिन थी वो अब हफ्ते-हफ्ते भर चल रहा था, उसे पूरा यकीन हो गया की साबुन फर्श पर पड़े पड़े गल रहा था और डोरी से बांधेने से उसे काफी फायदा हुआ है, उसकी प्रसन्नता का ठिकाना नहीं था, फिर एक दिन
लल्लन जैसे ही अपने भाई खल्ल्न चड्डी के नहाने के बाद बाथरूम में साबुन ठीक करने गया तो उसने देखा की जो साबुन डोरी से लटके थे उनके अलावा एक साबुन का टुकड़ा फर्श पर पड़ा हुआ था, यह देख कर वो असमंजस में पड गया की यह कहा से आया उसने इसकी जांच पड़ताल करने की ठानी. अगले दिन जैसे ही उसका बड़ा भाई फक्कड चड्डी बाथरूम में घूसा लल्लन बाथरूम के रोशनदान पर चढ़कर देखने लगा की अंदर क्या होता है?
पता चलता है की फक्कड चड्डी अपने कपड़ों और तौलिए में छुपा कर नहाने और कपडे धोने के साबुन अलग से लाया था उसने डोरी से लटके हुए साबुनों को हाथ भी नहीं लगाया बस बहार जाने से पहले दो लोटे पानी दोनों साबुनों पर उड़ेल दिया ताकि लल्लन पीछे से देखेने आये तो उसे लगे की वाकई साबुन प्रयुक्त हुए हैं. यह जानकर लल्लन चड्डी को खुशी और दुख दोनों एक साथ हुए.
दुःख इस बात का की उसके महान आइडिया उसके परिजनों ने अपनाया नहीं और खुशी इस बात की हर व्यक्ति खुद साबुन खरीद कर ला रहा था और उससे पैसे नहीं मांग रहा था.
इस कहानी का अन्य पहलु:-
जिस दिन लल्लन चड्डी ने यह नियम लागू किया, समस्त परिजनों ने लल्लन चड्डी के सुबह तालाब पर जाते ही एक ख़ुफ़िया मीटिंग की और इस समस्या से निपटने के रास्ते ढूँढने लगे, क्यूंकि डोरी से बंधे हुए साबुन का इस्तेमाल करना असम्भव था
फक्कड चड्डी ने सुझाव दिया की उन सभी को नहाना बंद कर देना चाहिए ताकि उनके तन की दुर्गंन्ध से लल्लन परेशान हो जाए और यह नियम हटा ले.
बब्बन ने कहा की उन्हें लल्लन को बाथरूम में बंद करके धोना चाहिए, इन दोनों ही सुझावों को सुनकर खल्ल्न ने अन्य परिजनों को समझाया की यदि वे नहाना बंद कर देंगे तो लल्लन दुर्गन्ध से परेशान होने वाला नहीं है अपितु वो और खुश होगा की चलो अब साबुन पूरा ही बच जाएगा और साथ ही साथ बिजली व पानी भी खर्च नहीं होगा, और वो कभी इस नियम को वापस नहीं लेगा, यदि वे उसेक साथ मारपीट करते हैं तो भी वो मानेगा नहीं उल्टा परिवार वालों को ही उसकी देखभाल करनी पड़ेगी वो काम पर नहीं जाएगा और घर पर रहकर बचत करने के अन्य तरीके सोचता रहेगा.
खल्ल्न ने उन्हें यह उपाय बताया की हर व्यक्ति अपने साथ कपड़ों में छुपा कर साबुन ले जाए और इस्तेमाल करके वापस ले आये डोरी से लटके हुए साबुन के झंझट से भी बच जायेंगे और लल्लन के कोप से भी.
नोट: वर्णित समस्त पात्र, घटनाओ, कहानिया, किस्से, आदि काल्पनिक है. यदि किसी व्यक्ति से इसकी समानता होती है,तो उसे मात्र एक सयोग माना जायेगा.
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