लल्लन चड्डी का जुनून
लल्लन चड्डी कई
चीज़ों को लेकर जुनून परस्त था परंतु सबसे अधिक उसे अपने क़सबे की खोखो टीम के प्रति निष्ठा थी। उसका ऐसा दावा था की वो अपने ज़माने में खोखो का सबसे धुरंधर
खिलाड़ी था। लेकिन क़सबे के अधिकारियों के अनुसार लल्लन जी के खोखो खेलने का कोई भी अधिकारिक रिकार्ड उनके पास नहीं था। और ना ही क़सबे के
किसी खोखो खिलाड़ी या कोच को उसके बारे में कोई जानकारी थी। जब लोगों ने उससे पूछा की तुम्हारा कोई रिकार्ड या रजिस्टरेशन नहीं है तो तुमने कब, कैसे, कहाँ और किसके साथ खोखो खेली? तो लल्लन ने बताया कि एक ऐसा गुप्त संगठन है जो क़सबे में खोखो के प्रति बहुत ही गम्भीर है। वो उस संगठन में एक सेना
के जनरल के समान ओहदे पर है और उसने उसी संगठन की तरफ़ से गुप्त रूप से क़सबे की खोखो टीम में शामिल होकर 25 वर्ष पूर्व अन्तर्राष्ट्रीय खोखो
प्रतियोगिता में गोल्ड मेडल हासिल किया और पूरे विश्व में अपने खोखो का डंका बजवाया था (यह अलग बात है की लल्लन जी के क़सबे में खोखो की टीम की अधिकारिक
स्थापना 3 वर्ष पूर्व ही हुयी थी।) उनकी इस प्रतिस्पर्धा में अमरीका, रूस, चीन, मंगोलिया, जापान, ऑस्ट्रेल्या, कनाडा, जर्मनी और ब्रिटेन की टीमें बड़े लम्बे चौड़े और फ़ुर्तीले खिलाड़ियों के साथ आयी थी पर
लल्लन की ट्रेनिंग के आगे कोई टिक नहीं पाया, क्यूँकि संगठन ने एक बहुत ही ज़्यादा
प्रशिक्षित कमांडो को उनका कोच नियुक्त किया था इस कमांडो ने टीम को
अफ़्रीका के जंगलों में दौड़ा कर, एवरेस्ट पर चढ़ा कर, बरमूडा ट्राईएंगल में तैरा कर, सहारा रेगिस्तान में रेंग रेंग कर और दक्षिणी ध्रुव पर गुलाँचियाँ खिला कर
ट्रेन किया था इतना ही नहीं बल्कि हर तरह का मार्शल
आर्ट सिखाया था। उस टीम का हर व्यक्ति एक जीता जागता शस्त्र था। लेकिन संगठन की संरचना इतनी सुदृढ़ और गुप्त है कि किसी को भी इस बारे में कानोकान खबर
नहीं है। इसी वजह से उनका रिकार्ड अधिकारियों के पास मौजूद नहीं है।
लल्लन यह भी कहता था की उसका संगठन खोखो टीम की हर गतिविधि पर बारीक नज़र रखता
है। हर खिलाड़ी के ऊपर 24 घंटे ड्रोन विमान से नज़र रखी जाती है। खिलाड़ियों के हर फोन, मेसेज,
फेसबुक, ईमेल इत्यादि को उसका संगठन गुप्त रूप से ट्रेस करता है, खिलाड़ियों के
कपड़ों में गुप्त रूप से ऐसे अदृश्य सेंसर हैं जो की ना ही टूटते हैं, गीले होते है और ना ही किसी अन्य तरीक़े से ख़राब होते हैं, लगाए गए हैं जो उनकी सारी शारीरिक जानकारी हर क्षण संगठन के ख़ुफ़िया मुख्यालय में
भेजते रहते हैं।
लल्लन के अनुसार इस संगठन को पैसे देने की लिए कई पूँजीपति लालायित रहते हैं। कई अभिनेता, सैन्य अधिकारी भी इसे संगठन के लिए गुप्त रूप से कार्य करते
है और उसके क़सबे की खोखो टीम को आगे पहुँचाने
के लिए दृढ़निश्चयी हैं।(उस क़सबे से कभी कोई आदमी सफल हो कर आगे नहीं बढा था अत: ऐसा होने की सम्भावना नहीं थी)
एक बार लल्लन
लापता हो जाता है और कुछ समय बाद ख़ुद ही प्रकट होता है तो उसके मित्र और परिवार के लोग उससे पूछते की वो कहाँ था? तो लल्लन ने उत्तर दिया कि वो अपने संगठन के मुख्यालय में एक ख़ुफ़िया
मीटिंग में गया था जिसमें सेटेलाइट के ज़रिए उसकी कई महान व्यक्तियों से बात हुयी और उसने उन सब को ख़ूब डाँट लगायी की वे संगठन के लिए कुछ
ख़ास नहीं कर रहे हैं। उसकी योजना थी चुपचाप खोखो टीम के लिए पोषाहार का बंदोबस्त करने की, वो चाहता था
गुप्त रूप से विदेशी पोषाहार खरीदवा कर (उसके संगठन को विदेशी पोषाहार गुप्त रूपे
से देश में लाने के लिए सरकार का पूरा पूरा सहयोग प्राप्त था) टीम के हर सदस्य के आसपास
की किराना की दूकान में आम वस्तुओं में मिलाकर, बिना किसी को बताए रखवा दे, ताकि जब
खिलाड़ी के घर राशन का समान जाए तो खिलाड़ी, उसके परिवार वाले या दूकानदार को भी खबर
नहीं हो की उनके पास सामान्य राशन के रूप में खास पोषाहार पहुँच रहा है, खिलाड़ी उस
पोषाहार का सेवन करके काफी हष्ट पुष्ट हो जाते और उनका खोखो बेहतर हो जाता इस काम को अंजाम देने के लिए उसने खाद्य
तेल, आटा, चावल इत्यादि सामग्री बनाने वाले और supply करने वाली कंपनियों के मालिकों को यह
जिम्मेदारी सौंपी थी, परन्तु वो सब नियत समय तक यह करने में असमर्थ रहे और लल्लन मीटिंग
में उन सबको इस बात के लिए हडका रहा था और वे लल्लन की ट्रेनिंग और संगठन के दबाव
के कारण डर के मारे थर थर काँप रहे थे और रहम की गुहार लगा रहे थे.
लल्लन कुछ भी
सुनने को तैयार नहीं था वो उसी समय संगठन के ख़ुफ़िया दस्ते को निर्देश देकर के इन
सभी उद्योगपतियों के ऊपर संगठन के वैज्ञनिकों द्वारा खुफिया रूप से बनायी गयी विशेष
सूक्ष्म, अदृश्य और अत्यंत ही प्राणघातक मिसाइल से हमला करना चाहता था, परन्तु तभी
अफ़्रीकी देश के मंत्री ने उसे रोक लिया (लल्लन के अनुसार मंत्री उसका बचपन का
दोस्त और लल्लन का प्रमुख सलाहकार था और लल्लन के बाद पृथ्वी पर इस मंत्री से
ज्यादा शक्तिशाली कोई नहीं था) और आश्वासन दिया की शीघ्र ही कोई नया रास्ता खोजा
जाएगा जिसके जरिये खोखो टीम को और बेहतर बनाया जाएगा और ऐसा नहीं हुआ तो तमाम
उद्योगपति अपना सर बाएँ हाथ की तरफ से आधा मुंडवा लेंगे. इस आश्वासन के कारण ही
लल्लन का गुस्सा शांत हुआ और वो मीटिंग खतम करके घर आया.
नोट: वर्णित समस्त
पात्र, घटनाओ, कहानिया, किस्से, आदि काल्पनिक है. यदि किसी व्यक्ति से इसकी समानता
होती है,तो उसे मात्र एक संयोग माना जायेगा.
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